क्या आपसे MRP चुकाने के बावजूद GST वसूला जा रहा है?


consumer affairs department explains you don’t have to pay GST over MRP
जीएसटी यानी गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स. इसे लागू हुए महीनाभर हो गया है, लेकिन जनता के दिमाग में अब भी ढेर सारी कन्फ्यूजन बाकी हैं. हों भी क्यों न. किसी दुकान पर जाओ, तो प्रोडक्ट की कीमत के सामने लिखा होता है ‘जीएसटी इन्क्लूडेड’. दूसरी पर जाओ, तो उसी प्रोडक्ट की कीमत के आगे लिखा होता है, ‘विदआउट जीएसटी’. ऐसे में कोई ग्राहक पता कैसे करे कि जो पैसा उससे वसूला जा रहा है, उसमें एक बार जीएसटी शामिल है या दो बार.

इस बीच एक और किस्म की शिकायत आ रही है कि कुछ जगहों पर दुकानदार एमआरपी पर जीएसटी वसूल रहे हैं. एमआरपी बोले तो मैक्सिमम रीटेल प्राइस यानी अधिकतम खुदरा मूल्य. यानी कोई भी दुकानदार अपनी दुकान पर रखे किसी भी पैकेज्ड प्रोडक्ट पर ज्यादा से ज्यादा उतना ही पैसा ले सकता है, जिसका पैकेट पर लिखा है. अपनी लागत और मुनाफे के मुताबिक वो छपे दाम से कम ले सकता है, लेकिन उससे ज्यादा नहीं.
नियम के मुताबिक आपको एमआरपी देने के बाद अलग से जीएसटी देने की जरूरत नहीं है. जीएसटी पहले से एमआरपी में जुड़ा हुआ है. लेकिन अगर दुकानदार ऐसा कर रहा है, तो सतर्क हो जाइए.

कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री ने बताया है कि एमआरपी में जीएसटी पहले से शामिल है, इसलिए उससे ज्यादा दाम में कोई चीज आपको नहीं मिल सकती. इसके अलावा अगर किसी प्रोडक्ट का एमआरपी जीएसटी के तहत बढ़ रहा है, तो कंपनी को इस बात की जानकारी न्यूजपेपर या दूसरे मीडियम में ऐड के जरिए देनी होगी. साथ ही, कंपनी को पुराने स्टीकर के साथ नए एमआरपी का स्टीकर भी अपने प्रोडक्ट पर चिपकाना होगा. कंपनियों और दुकानदारों को इस कवायद के लिए मंत्रालय ने 60 दिन का समय दिया है.

जीएसटी एक्सपर्ट संजय गुप्ता बताते हैं कि कुछ दुकानदार जानबूझकर ज्यादा पैसा कमाने के लिए एमआरपी के ऊपर जीएसटी लगा रहे हैं. जिन लोगों को एमआरपी की पूरी जानकारी नहीं है, वो लोग गुमराह होकर ये पैसा दे भी रहे हैं. लेकिन एक बात एकदम साफ है कि एमआरपी के ऊपर कोई भी दूसरा टैक्स नहीं लग सकता. अगर आपको इस तरह का कोई बिल मिलता है, जिसमें एमआरपी पर जीएसटी लगा है, तो आप केंद्र सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर इसकी शिकायत कर सकते हैं. ये नंबर 1800-103-9271 है.

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