गजब फैक्ट्स: भारत की अदृश्य सेना ‘रॉ’ से जुड़े अनसुने और हैरान कर देने वाले फैक्ट्स


भारतीय सेना ही भारत को सुरक्षा प्रदान करती है। बाहरी हमलें हो या पड़ोसी देशों से खतरा, हर बार भारतीय सेना के जवान ही हैं जो अपनी जान पर खेल कर देश को सुरक्षित रखते हैं, लेकिन एक ओर अदृश्य सेना है जो किसी को दिखाई तो नहीं देती, लेकिन जिसके सैनिक हर वक्त मौत के सायो के बीच रह कर अपने देश को सुरक्षा प्रदान करते हैं, देश के खिलाफ दुश्मनों की साजिशों का पर्दा फाश करते हैं और भारत की इस सेना इस एजेंसी का नाम है रॉ (रिसर्च एनालिसिस विंग)।
देखा जाए तो आज पूरी दुनिया में रॉ(भारत की खुफिया एजेंसी) और उनके एजेंट ना सिर्फ देश को सुरक्षित किये हुए हैं बल्कि देश की सुरक्षा तरक्की में भी कई योगदान दे चुके है। रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग 1968 के बाद से भारतीय खुफिया और सामरिक संचालन की रीढ़ बन गयी है। तो आइये आज जानते है रॉ से जुड़े हैरान कर देने वाले फैक्ट्स जिसके बारें में हर भारतीय को पता होना चाहिए ।
  • दरअसल रॉ एक स्वतंत्र शाखा है। वास्तव में रॉ एक एजेंसी नहीं है लेकिन तकनीकी रूप से एक शाखा है। इसका मतलब यह है की यह खुफिया सेवा किसी भी सरकारी निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं है ।
  • यह सीधे सीधे प्रधानमंत्री और संयुक्त खुफिया समिति के सम्पर्क में रहती है और इसको आरटीआई एक्ट से भी बाहर रखा गया है ।
  • रॉ के प्रमुख के कैबिनेट सचिवालय में सचिव नामित किया गया है और कैबिनेट सचिव प्रशासनिक आधार पर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते है।
  • रॉ भारत-चीन युद्ध के जवाब में सितंबर माह की 21 तारीख साल 1968 में स्थापित की गयी थी। 1962 में भारत-चीन संघर्ष और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आईबी की हुई हुई विफलताओं के बाद इंदिरा गांधी सरकार ने ये कदम उठाते हुए विदेशी खुफिया जानकारी जुटाने के लिए रॉ को जन्म दिया था।
  • इंदिरा गाँधी सरकार ने रामेश्वर नाथ काव को पहले रॉ का पहला डायरेक्टर नियुक्त किया था। बांग्लादेश की स्वतंत्रता और सिक्किम के भारतीय राज्य के विलय में रॉ ने अहम भूमिका निभाई थी। 1971 मे इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण गंगा की वापसी रॉ द्वारा एक रणनीतिक कदम था।

रविंद्र कौशिक उर्फ ‘ब्लैक टाइगर’

  • रॉ में भर्ती हुए गुप्त एजेंटों में रविंद्र कौशिक उर्फ ‘ब्लैक टाइगर’ सबसे सफल एजेंटों में से एक था। वो एक रॉ जॉइन करने से पहले थियेटर कलाकार थे। रॉ द्वारा भर्ती के बाद उनको 1975 में पाकिस्तानी सेना में घुसपैठ करने के लिए पाकिस्तान भेजा गया था ।
  • व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद टॉप गुप्त मिशन पर निकले कौशिक नबी अहमद शाकिर बन गए और पाकिस्तानी सेना के भीतर मेजर के पद तक पहुंचे।
  • अंत में जब वह एक लो लेवल ऑपरेटिव इनयात मसीह इंडियन फ़ोर्स को भेज रहे थे तब वह पकड़े गए। साल 1999 में मुल्तान की नई सेंट्रल जेल में तपेदिक और दिल की बीमारी से रविंद्र कौशिक ने दम तोड़ दिया था।

लाफिंग बुद्धा ऑपरेशन

  • लाफिंग बुद्धा ऑपरेशन को गुप्त रखने की जिम्मेदारी रॉ एजेंसी के पास ही थी। इस मिशन से रॉ ने साबित कर दिया की वह देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण एजेंसी है।
  • भारत के पहले परमाणु हथियारों का परीक्षण राजस्थान के पोखरण रेंज में आयोजित किया गया था, जिसको पूर्ण रूप से गुप्त रखने के पीछे रॉ अधिकारी शामिल थे
  • सीआईए की तर्ज पर आज भारतियों के पास भी एक सफल एजेंसी है। जो भारतीयों के लिए हर पल मुस्तैद और जोखिम लेकर मिशन पूर्ण करने के लिए तत्पर रहती है।
  • ये एक ऐसी सेना है 24X7 देश के लिए काम करती रहती है।

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